पत्नी की पूजा से शनि होंगे प्रसन्न

शनि को प्रसन्न करना है तो लगाएं उनकी पत्नी से गुहार
शनिदेव की कृपा के लिए शनि भक्त क्या-क्या नहीं करते। मंदिर जाते हैं, उपवास रखते हैं और जब भक्तों की मुराद पूरी हो जाती है तो वह शनिदेव की भक्ति भाव से निहाल हो जाते हैं। अगर शनि भक्त शनिदेव की आराधना सच्चे मन से करें तो सूर्य पुत्र उनकी मनोकामना पूरी करने में कभी देर नहीं करते। शनिदेव को कैसे प्रसन्न किया जाए यह सवाल हर भक्त के मन में जरूर रहता है। यहां बहुत ही आसान से उपाय बता रहे हैं जिन्हें आजमाकर आप शनिदेव को जल्द से जल्द प्रसन्न कर सकते हैं
शनिवार अथवा शनि जयंती के दिन शनि को खुश करना सबसे आसान होता है। इन्हें खुश करने का सबसे सरल तरीका है पत्नी की पूजा। अगर आप सोच रहे हैं कि आपको अपनी पत्नी की पूजा करनी है तो ग़लत सोच रहे हैं। शनि की कृपा दृष्टि पाने के लिए शनि की पत्नी की पूजा कीजिए। शनि देव अपनी पत्नी की पूजा से बहुत प्रसन्न होते हैं और कष्टों से मुक्ति प्रदान करते हैं।
शनि देव को मिला था पत्नी से श्राप, जानें क्या है इसकी कथा...
शनिदेव का पूजन करने से इंसान के ग्रहों की चाल पर अनुकूल प्रभाव पड़ता है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कर्मों के देव शनि को उनकी पत्नी ने श्राप दे दिया था…
जीवन में ग्रहों का प्रभाव बहुत प्रबल माना जाता है और उस पर भी शनि ग्रह अशांत हो जाएं तो जीवन में कष्टों का आगमन शुरू हो जाता है. शनि, भगवान सूर्य और छाया के पुत्र हैं. शनि को क्रूर दृष्टि का ग्रह माना जाता है जो किसी के भी जीवन में उथल–पुथल मचा सकते हैं. लेकिन ऐसा क्यों है इसके बारे में कम ही लोग जानते हैं.
आइए जानें, शनिदेव की क्रूर दृष्टि के पीछे का सच और कथा...
ब्रह्मपुराण के अनुसार, बचपन से ही शनिदेव भगवान श्रीकृष्ण के भक्त थे. इनकी दृष्टि में जो क्रूरता है, वह इनकी पत्नी के शाप के कारण है। ब्रह्मपुराण के अनुसार, बड़े होने पर इनका विवाह चित्ररथ की कन्या से किया गया. इनकी पत्नी सती–साध्वी और परम तेजस्विनी थीं. एक बार पुत्र–प्राप्ति की इच्छा से वे इनके पास पहुंची पर शनि श्रीकृष्ण के ध्यान में मग्न थे. पत्नी प्रतीक्षा करते हुए थक गईं और क्रोध में आकर उन्होंने शनि को श्राप दे दिया कि आज से आप जिसे देखोगे वह नष्ट हो जाएगा.
ध्यान टूटने पर जब शनिदेव ने उसे मनाया और समझाया तो पत्नी को अपनी भूल पर पश्चाताप हुआ, किन्तु शाप के प्रतिकार की शक्ति उसमें ना थी। तभी से शनिदेव अपना सिर नीचा करके रहने लगे। क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि उनके द्वारा किसीका अनिष्ट हो।

शनि देव को उनकी पत्नी ने श्राप दिया था कि शनि जिसे देखेंगे उसके जीवन की सारी खुशियां चली जाएगी। लेकिन शिव की कृपा से पत्नी द्वारा दिया गया शाप शनि देव के लिए वरदान बन गया। इसलिए शनि अपनी पत्नी के नाम का जप करने वाले को कभी कष्ट नहीं देते हैं। शनि जयंती के दिन प्रातः शनि की पूजा करके शनि पत्नी मंत्र का जप करें।
शनि पत्नी मंत्र
ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिया।
कंटकी कलही चाऽथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनेर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाशयेन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखम।।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार अन्य दिनों में भी जो व्यक्ति नियमित इस मंत्र का जप करता रहता है उसे शनि की दशा में कष्ट का सामना नहीं करना पड़ता है।
इस शनि मंत्र से बाधाओं से पाएं मुक्ति
इस वर्ष शनि जयंती के दिन रात्रि में सूर्य ग्रहण भी होने जा रहा है। यह एक विशेष ज्योतिषीय घटना है। इस अवसर पर सूर्य और शनि की कृपा एक साथ पाने के लिए प्रातः काल सूर्य को देखते हुए ‘सूर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्षः शिवप्रियः मन्दचारः प्रसन्नात्मा पीडां दहतु मे शनिः’ इस मंत्र का जप करें। इस दिन से नियमित 21 दिन तक इस प्रकार से शनि और सूर्य की पूजा करने से जीवन में आने वाली बाधाओं और कष्टों में कमी आएगी।
बिना मंत्र के ऐसे पाएं शनि कृपा
शनि महाराज मजदूर, भिखारी, कमजोर वर्गों के स्वामी हैं। शनि देव को हमेशा खुश रखना है तो इन्हें प्रसन्न रखें और शनि जयंती के मौके पर इन्हें भोजन कराएं। सफाईकर्मियों को धन दें। खिचड़ी में तिल मिलाकर प्रसाद बांटें।
शनिवार को पीपल के वृक्ष के चारों ओर सात बार कच्चा सूत लपेटें और यह क्रिया करते समय शनि के किसी भी एक मंत्र का जाप करते रहें। इसके बाद वृक्ष का धूप-दीप से पूजन करें। ध्यान रखें कि जब यह पूजा करें उस दिन बिना नमक का भोजन ही करें।
शनिदेव के प्रकोप को शांत कर उनको प्रसन्न करने के लिए आप शनि की पत्नी के नामों का नित्य पाठ करें तो शुभ रहेगा। मंत्र कुछ इस तरह हैं
ध्वजिनी धामिनी चौव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन पुमान।
दु:खानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
यदि कुष्ठ रोग वंशानुगत न होकर शनि के कोप के कारण हुआ है तो इससे मुक्ति पाने के लिए डाक्टरी सलाह के साथ इस मंत्र का जाप करने से यह रोग दूर हो सकता है।
शनिग्रह के अशुभ प्रभाव के कारण शरीर पर चर्म रोग हो जाए तो शनिवार के दिन बिछुआ की जड़ (एक प्रकार का जंगली पौधा) को बाजू में बांधने से लाभ होता है।
प्रत्येक शनिवार को वट और पीपल के वृक्ष के नीचे सूर्योदय से पहले कड़वे तेल का दीपक जलाकर कच्चा दूध अर्पित करें। शनिदेव जरूर प्रसन्न होंगे।
अपने घर में संध्या के समय गुगल की धूप दें। ऐसे कई उपाय हैं, जिनके द्वारा शनि की शांति होती है।
शनि की अनिष्टता निवारण के लिए शनिवार को एकाशना करनी चाहिए। अगर व्रत न कर सकें तो मांसाहार व मदिरापान नहीं करना चाहिए और संयमपूर्वक प्रभु स्मरण करना चाहिए।
शनि देव के मंदिर के बाहर पुराने जूते और वस्त्रों का त्याग करना भी फायदा देता है।
शनि मुद्रिका से पहुंचता है लाभ, ज्योतिष विशेषज्ञ की सलाह अनुसार काले घोड़े के खुर की नाल की अभिमंत्रित अंगूठी मध्यमा अंगुली में धारण करनी चाहिए।
शनिदोष के निवारण हेतु शुभ मुहूर्त में अनुष्ठान से अभिमंत्रित किया हुआ शनि यंत्र धारण करने से शनि की पीड़ा शांत हो जाती है।
नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करें.
सूर्यास्त के बाद हनुमानजी का पूजन करें. पूजन में सिन्दूर, काली तिल्ली का तेल, इस तेल का दीपक एवं नीले रंग के फूल का प्रयोग करें.
सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो दें. इसके बाद नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर शनिदेव का पूजन करें और चनों को सरसो के तेल में छौंक कर इनका भोग शनिदेव को लगायें. इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें. दूसरा सवा किलो चना कुष्ट रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना अपने ऊपर से उतार कर किसी सुनसान स्थान पर रख आयें.
लाल चन्दन की माला को अभिमंत्रित कर पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं.
यदि आप पर शनि की साढ़ेसाती, ढय्या या महादशा चल रही हो तो इस दौरान मांस, मदिरा का सेवन न करें. इससे भी शनि के दुष्प्रभाव में कमी आती है.
एक कांसे की कटोरी में तिल का तेल भर कर उसमें अपना मुख देख कर और काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो अनाज, दो लड्डू, फल, काला कोयला और लोहे की कील रख कर डाकोत (शनि का दान लेने वाला) को दान कर दें.
चोकर युक्त आटे की 2 रोटी लेकर एक पर तेल और दूसरी पर शुद्ध घी लगाएं. तेल वाली रोटी पर थोड़ा मिष्ठान रखकर काली गाय को खिला दें. इसके बाद दूसरी रोटी भी खिला दें और शनिदेव का स्मरण करें.
अपने दाहिने हाथ के नाप का उन्नीस हाथ लंबा काला धागा लेकर उसको बटकर माला की भांति गले में पहनें. इस प्रयोग से भी शनिदेव का प्रकोप कम होता है.
शनि जयंती के एक दिन पहले यानी मंगलवार की रात काले चने पानी में भिगो दें. शनि जयंती के दिन ये चने, कच्चा कोयला, हल्की लोहे की पत्ती एक काले कपड़े में बांधकर मछलियों के तालाब में डाल दें. यह टोटका पूरा एक साल करें. इस दौरान भूल से भी मछली का सेवन न करें.
शनि जयंती और प्रत्येक शनिवार के दिन बंदरों और काले कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाने से भी शनि का कुप्रभाव कम हो जाता है.
शमी वृक्ष की जड़ को विधि-विधान पूर्वक घर लेकर आयें. शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के दिन किसी योग्य विद्वान से अभिमंत्रित करवा कर काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें. शनिदेव प्रसन्न होंगे तथा शनि के कारण जितनी भी समस्यायें हैं, उनका निदान होगा.
घर में शमी का वृक्ष लगाएं और उसकी पूजा नियमित रूप से रोजाना करें। घर का वास्तुदोष ऐसा करने से दूर होगा साथ ही आप पर हमेशा शनिदेव की कृपा बनी रहती है।
शनिदेव की शुभ दृष्टि प्राप्त करने के लिए किसी भी शनिवार से यह उपाय शुरू करें। इस उपाय के अनुसार आपको लगातार सात शनिवार तक बिना किसी प्रकार की देर किए हुए एक-एक नारियल किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करना चाहिए। साथ ही नारियल प्रवाहित करते समय एकाग्र मन से
ॐ रामदूताय नम: मंत्र का जप करें लाभ मिलेगा।
जिनकी कुण्डली में शनि प्रतिकूल स्थिति में होती है उन्हें साढ़ेसाती एवं शनि की ढैय्या के दौरान काफी संघर्ष करना पड़ता है। शनि के प्रभाव के कारण इन्हें शारीरिक मानसिक एवं आर्थिक समस्याओं से गुजरना होता है। ज्योतिषशास्त्र में कहा गया है कि शनि के प्रतिकूल प्रभाव को दूर किया जाए तो शनि दशा के दौरान मिलने वाली परेशानियों में कमी आती है।
शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करें. इसके बाद प्रतिदिन इस यंत्र की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं. प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं. नीला या काला पुष्प चढ़ाएं ऐसा करने से लाभ होगा.

Today, while I was at work, my sister stole my apple ipad and tested to see if it can survive a forty foot drop, just so she can be a youtube sensation. My iPad is now broken and she has 83 views. I know this is completely off topic but I had to share it with someone! Sophey Konrad Eckardt