भृगु संहिता-
मानवता के भविष्य की भविष्यवाणी
भृगु संहिता से जानिए अपनी किस्मत और भविष्य के राज
भृगु संहिता कल्याणकरी ग्रन्थ, है जिसमें भूत, वर्तमान, भविष्य की, ज्योतिष की सभी जानकारियां दी गई हैं। भृगु संहिता के उपाय इतने अचूक माने जाते है की कहते है किनको करने के बाद जीवन में फिर कुछ भी और उपाय नहीं करने पड़ते है।
भृगु ऋषि द्वारा रचित भृगु संहिता में भूत काल, भविष्य काल एवं वर्तमान काल की सही घटनाओं का विवरण लिखा हुआ होता है। वह जिनके प्राचीन भृगु संहिता से लिये गये हैं। इन सूत्रों को काफी भली भांति जांचा और परखा गया है।
दुनिया में सभी की अपना भविष्य जानने की इच्छा होती है, हम सभी जानना चाहते है कि हमारा अच्छा समय कब आएगा हमें कब और किस क्षेत्र में सफलता प्राप्त होगी& जीवन के इन सभी महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर भृगु संहिता, में दिए गए हैं। भृगु संहिता कल्याणकरी ग्रन्थ, है जिसमें भूत, वर्तमान, भविष्य की, ज्योतिष की सभी जानकारियां दी गई हैं।
भृगु ऋषि को ज्योतिष शास्त्र में ऐसी पकड़ थी की वह भूत, भविष्य और वर्तमान को बिलकुल साफ साफ देख सकते थे। उनसे कुछ भी छुपा नहीं था । भृगुजी अभूतपूर्व कृति ‘भृगु संहिता’ में भविष्य में जन्म लेने वाले मानवों के जीवन का लेखा-जोखा भी हजारों वर्ष पूर्व दे दिया था अपनी भृगु संहिता, ज्योतिष का एक बहुत ही विशाल और सम्पूर्ण ग्रंथ है। वर्तमान में भृगु संहिता, की जो भी प्रतियां उपलब्ध हैं वे पूर्ण नहीं हैं। भृगु संहिता से प्रत्येक व्यक्ति की तीन जन्मों की जन्मपत्री बनाई जा सकती है। किसी भी व्यक्ति के प्रत्येक जन्म की पूरी जानकारी इस ग्रंथ में दी गयी है।यहां तक कि इस ग्रंथ से पैदा होने वाले अबोध का भविष्य भी बताया जा सकता है। किसी के भी जीवन में क्या होने वाला है, कैसे अपने समय को अच्छा कर सकते है, किस उपाय को करके कैसे किसी भी परिस्तिथि को श्रेष्ठ बनाया है यह तथा जीवन का सम्पूर्ण सार इस ग्रन्थ में मिलता है।
भृगु संहिता के उपाय

भृगु संहिता के उपाय इतने अचूक माने जाते है की कहते है किनको करने के बाद जीवन में फिर कुछ भी और उपाय नहीं करने पड़ते है वास्तव में इस ग्रन्थ में प्रत्येक मनुष्य के लिए उसका विशेष उपाय पहले ही लिखा रहता है।& माना जाता है कि इस ग्रन्थ की कुछ मूल प्रतियां आज भी सुरक्षित हैं।
माता लक्ष्मी जी ने महर्षि भृगु को श्राप क्यों दिया?
शास्त्रों के अनुसार भृगु संहिता के फलित का कोई विकल्प और कोई भी चुनौती नहीं है क्योंकि यह ग्रन्थ ज्योतिष की पराकाष्ठा है।शास्त्रों में वर्णित एक पौराणिक कथा के अनुसार एक बार महर्षि भृगु बहुत उत्तेजित होकर भगवान विष्णु जी से मिलने पहुँचे क्योंकि उन्हें ब्रह्म ऋषि मंडल में स्थान प्राप्त नहीं हुआ था।भगवन श्री विष्णु जी निद्रामग्न थे तथा माता लक्ष्मीजी उनके पांव दबा रही थीं।
विष्णु जी को सोते हुए देखकर इस अपनी अवमानना समझकरऋषि भृगु ने क्रुद्ध होकर उनके वक्षस्थल पर पैर रख दिया। इससे भगवान विष्णु जग उठे और उठकर उन्होंने भृगु ऋषि से विनम्रता से पूछा कि उनके वज्र के समान कठोर वक्ष से आपके कोमल चरणों में चोट तो नहीं लगी? इस विनम्रता को देखकर भृगु ऋषि को पश्चाताप हो आया और वह क्षमा मांगने लगे।
विष्णुजी ने तो उन्हें क्षमा कर दिया, किंतु लक्ष्मीजी यह देखकर रुष्ट हो गयी और उन्होंने भृगु ऋषि को यह श्राप दे दिया कि अब ब्राह्मणों के घर में लक्ष्मी कभी नहीं जाएंगी। अर्थात ज्ञानी पंडित या सरस्वती के उपासक दरिद्र रहेंगे, उनके पास धन नहीं रहेगा । भृगु उस समय तक अपना ग्रंथ ”ज्योतिष-संहिता“ लिख चुके थे। उनमें जो गणनाएं की गयी थीं उनका फल आने वाले हजारों वर्षों तक के लिए निश्चित हो चूका था। तब महर्षि भृगु ने माता लक्ष्मी से कहा- ”मेरा हाथ जिस मनुष्य / घर पर भी होगा, वहां लक्ष्मी को आना ही होगा और स्थिर लक्ष्मी का वास होगा।;इस पर माता लक्ष्मी और भी क्रोधित हो गईं और उन्होंने – ”हे ऋषिवर जिस ज्योतिष संहिता ग्रंथ पर आपको इतना अभिमान है, उसका फल कभी भी सही और पूर्ण नहीं आएगा।यह सुनकर महर्षि भृगु क्रोध में माता लक्ष्मी को शाप देने ही वाले थे कि भगवान श्री हरि विष्णु बोले- ”हे ऋषिवर आप दुखी और क्रोधित ना हो, मैं आपको दिव्य दृष्टि देता हूं, अब आप पुनः एक ज्योतिष पर ग्रंथ लिखें, मेरा वरदान है कि उसकी गणना अकाट्य होगी, उसका फल कभी निष्फल नहीं होगा। मान्यता है कि भगवान श्री विष्णु जी के आशीर्वाद से ही भृगु संहिता की रचना हुई।
दिव्य दुर्लभ ग्रंथ
भृगु संहिता, महर्षि भृगु और उनके पुत्र शुक्राचार्य के बीच संपन्न हुए वार्तालाप का एक अत्यंत दुर्लभ ग्रंथ है। भृगु संहिता एक अत्यंत लोकप्रिय ग्रंथ है। मान्यता है कि इसमें इस संसार में जन्मे प्रत्येक मनुष्य की जन्मकुंडली है। महर्षि भृगु को आभास था कि भविष्य में ऐसे ज्योतिष नहीं होंगे जो किसी व्यक्ति का ठीक-ठीक भविष्य बता सकें। इसी लिए उन्होंने इस पृथ्वी में& जन्म लेने वाले सभी मनुष्यों की जन्म पत्रिकाएं बनाकर उनका भूत, वर्तमान और भविष्य उपाय सहित पहले ही लिख दिया।
भृगु संहिता कितने पृष्ठों की है, इसका अनुमान लगाना लगभग असंभव ही है। यह दिव्य दुर्लभ ग्रंथ हजारों वर्ष पहले भृगु ऋषि द्वारा भोजपत्र पर लिखा गया था। आज सम्पूर्ण भृगु संहिता किसी के भी पास पूरी नहीं है।& माना जाता है कि पार्वती जी के श्राप के कारण महर्षि भृगु द्वारा निर्मित भृगु संहिता बिखरी हुई हैं। आज अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न व्यक्तियों के पास इसका कुछ हिस्सा मौजूद हैं। लेकिन जिसके पास जितना भी है वह रामबाण है भृगु संहिता से कल्याण संभव है। एक अच्छा विद्वान ज्योतिष ना केवल आपके वर्तमान और भविष्य को मजबूत बनाता है वरन आने वाली पीढ़ियां भी सुख भोगती है। हमारे मार्गदर्शन में आपकी प्रत्येक ग्रहदशा में चाहे वह अच्छी हो या बुरी निश्चय ही आपको शुभ फल प्राप्त होंगे।
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