
पद्मिनी एकादशी
पद्मिनी एकादशी व्रत 27 सितंबर, रविवार के दिन रखा जाएगा। पुरुषोत्तम मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन यह व्रत रखा जाता है। इसे कमला एकादशी के रूप में भी जाना जाता है. इसलिए इस एकादशी को पुरुषोत्तमी एकादशी भी कहते है। पद्मिनी एकादशी जगत के पालनहार भगवान विष्णु जी को बेहद प्रिय है। शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जो व्यक्ति पद्मिनी एकादशी व्रत का पालन सच्चे मन से करता है उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती है। लेकिन एकादशी के दिन कुछ कार्यों को भूलकर भी नहीं करना चाहिए। ये कार्य इस प्रकार हैं
एकादशी के दिन चावल का सेवन न करें
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी के पावन दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि इस दिन चावल का सेवन करने से मनुष्य का जन्म रेंगने वाले जीव की योनि में होता है। इस दिन जो लोग व्रत नहीं रखते हैं, उन्हें भी चावल का सेवन नहीं करना चाहिए।
एकादशी के दिन महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए
एकादशी के दिन महिलाओं का अपमान करने से व्रत का फल नहीं मिलता है। सिर्फ एकादशी के दिन ही नहीं व्यक्ति को किसी भी दिन महिलाओं का अपमान नहीं करना चाहिए। जो व्यक्ति महिलाओं का सम्मान नहीं करते हैं उन्हें जीवन में कई तरहों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
एकादशी के दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए
एकादशी के पावन दिन मांस- मंदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन ऐसा करने से जीवन में तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस दिन व्रत करना चाहिए। अगर आप व्रत नहीं करते हैं तो एकादशी के दिन सात्विक भोजन का ही सेवन करें।
एकादशी के दिन शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए
एकादशी के दिन शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए, इस दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से विशेष लाभ की प्राप्ति होती है।
एकादशी के दिन गुस्सा न करें
एकादशी का पावन दिन भगवान विष्णु की अराधना का होता है, इस दिन सिर्फ भगवान का गुणगान करना चाहिए। एकादशी के दिन गुस्सा नहीं करना चाहिए और वाद-विवाद से दूर रहना चाहिए।
पद्मिनी एकादशी व्रत कथा
त्रेयायुग में महिष्मती पुरी के राजा थे कृतवीर्य. वे हैहय नामक राजा के वंश थे. कृतवीर्य की एक हजार पत्नियां थीं, लेकिन उनमें से किसी से भी कोई संतान न थी. उनके बाद महिष्मती पुरी का शासन संभालने वाला कोई न था. इसको लेकर राजा परेशान थे. उन्होंने हर प्रकार के उपाय कर लिए लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ. इसके बाद राजा कृतवीर्य ने तपस्या करने का निर्णय लिया. उनके साथ उनकी एक पत्नी पद्मिनी भी वन जाने के लिए तैयार हो गईं. राजा ने अपना पदभार मंत्री को सौंप दिया और योगी का वेश धारण कर पत्नी पद्मिनी के साथ गंधमान पर्वत पर तप करने निकल पड़े.
कहा जाता है कि पद्मिनी और कृतवीर्य ने 10 हजार साल तक तप किया, फिर भी पुत्र रत्न की प्राप्ति नहीं हुई. इसी बीच अनुसूया ने पद्मिनी से मलमास के बारे में बताया. उसने कहा कि मलमास 32 माह के बाद आता है और सभी मासों में महत्वपूर्ण माना जाता है. उसमें शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने से तुम्हारी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी. श्रीहरि विष्णु प्रसन्न होकर तुम्हें पुत्र रत्न अवश्य देंगे. पद्मिनी ने मलमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत विधि विधान से किया. इससे प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उसे पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया. उस आशीर्वाद के कारण पद्मिनी के घर एक बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम कार्तवीर्य रखा गया. पूरे संसार में उनके जितना बलवान कोई न था.
पद्मिनी एकादशी शुभ मुहूर्त तथा पंचांग 27 सितंबर 2020
एकादशी तिथि प्रारम्भ – सितम्बर 26, 2020 को 06:59 पी एम बजे
एकादशी तिथि समाप्त – सितम्बर 27, 2020 को 07:46 पी एम बजे
पद्मिनी एकादशी पारण मुहूर्त: 06:10:41 से 08:26:09 तक
पंचांग 27 सितंबर 2020 के अनुसार आज आश्विन मास की एकादशी तिथि है. आज पद्मिनी एकादशी व्रत है. चंद्रमा आज भी मकर राशि और सूर्य आज कन्या राशि में गोचर कर रहा है. आज अभिजीत मुहूर्त है. शुभ कार्य अभिजीत मुहूर्त में करें. राहु काल में शुभ कार्य न करें. आज सुकर्मा योग बना हुआ है. दिशा शूल पश्चिम दिशा है. आज श्रवण नक्षत्र है.
Panchang In Hindi: दिनांक: 27 सितंबर 2020 (Panchang 27 September 2020)
विक्रमी संवत्: 2077
मास अमांत: आश्विन (अधिक)
मास पूर्णिमांत: आश्विन
पक्ष: शुक्ल
वार: रविवार
तिथि: एकादशी – 19:48:19 तक
आज का व्रत: पद्मिनी एकादशी (Padmini Ekadashi 2020)
नक्षत्र: श्रवण – 20:49:56 तक
करण: वणिज – 07:21:34 तक, विष्टि – 19:48:19 तक
योग: सुकर्मा – 19:20:07 तक
सूर्योदय: 06:12:09 AM
सूर्यास्त: 18:11:14 PM
सूर्य राशि: कन्या राशि
सूर्य नक्षत्र: उत्तराफाल्गुनी
चन्द्रमा: मकर
द्रिक ऋतु: शरद
वैदिक ऋतु: शरद
राहुकाल: 16:41:21 से 18:11:14 तक (इस काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है)
शुभ मुहूर्त का समय – अभिजीत मुहूर्त: 11:47:43 से 12:35:40 तक
दिशा शूल: पश्चिम
अशुभ मुहूर्त का समय –
दुष्टमुहूर्त: 16:35:21 से 17:23:17 तक
कुलिक: 16:35:21 से 17:23:17 तक
कालवेला / अर्द्धयाम: 11:47:43 से 12:35:40 तक
यमघण्ट: 13:23:36 से 14:11:32 तक
कंटक: 10:11:51 से 10:59:47 तक
यमगण्ड: 12:11:42 से 13:41:35 तक
गुलिक काल: 15:11:28 से 16:41:21 तक
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना के साथ सूर्यदेव का भी विशेष पूजन अर्चन हो जाएगा। अधिकमास में इस एकादशी व्रत का महत्व तो स्वंय भगवान कृष्ण ने युधिष्ठिर और अर्जुन को बताया था।ऐसा कहा जाता है कि भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा एक साथ करने जीवन में कई परेशानियों का अंत होता है।
इस दिन सुबह उठकर सच्चे मन से व्रत का संकल्प लेकर स्नानादि क्रियाओं से निवृत होने के बाद भगवान श्री हरि जी की धूप, दीप, नेवैद्य, पुष्प एवं मौसमी फलों से पूजा करें। पंचामृत से भगवान को स्नान कराएं। पूरे दिन निराहार व्रत रखें। आप फलाहार कर सकते हैं।
पद्मिनी एकादशी श्री विष्णु की प्रिय तिथि हैं हिंदू धर्म शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि जो जातक पद्मिनी एकादशी का व्रत करता हैं उसे विष्णु लोक की प्राप्ति होती हैं इस दिन श्री विष्णु को प्रसन्न करने के लिए कुछ उपाय बताए गए हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख में बताने जा रहे हैं भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के अचूक उपाय, तो आइए जानते हैं।
पद्मिनी एकादशी पर शाम के समय तुलसी के आगे घी का दीपक जलाकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम: मंत्र का जाप करते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें। ऐसा करने से आपको भगवान श्री विष्णु और देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होगा।
अगर आपका धन कहीं फंसा हुआ हैंतो एकादशी तिथि पर श्री विष्णु के आगे घी का दीपक जलाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए।
सेहत से जुड़ी परेशानियेां को दूर करने के लिए ऋतुफल को श्री विष्णु को समर्पित करना चाहिए। पद्मिनी एकादशी के दिन श्री विष्णु और माता लक्ष्मी को सौंफ अर्पित करें यह उपाय आपको कारोबार में तरक्की कराएगा।
पद्मिनी एकादशी के दिन गरीब और असहाय लोगों को भोजन कराना चाहिए साथ ही उन्हें दान दक्षिणा भी देना चाहिए। ऐसा करने से आपके जीवन में सुख समृद्धि का आगमन होता हैं।
पद्मिनी एकादशी के राशि अनुसार उपाय
1.मेष– मेष राशि वाले जातक अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए भगवान विष्णु के आगे शुद्ध देशी घी का दीपक जलाएं।
2.वृषभ: वृषभ राशि के जातक भगवान श्री कृष्ण को माखन का भोग लगाएं आपको इक्छित परिणाम ज़रूर मिलेगा।
3.मिथुन: इस दिन मिथुन राशि वाले लोग भगवान वासुकीनाथ को मिश्री का भोग लगाएं।
4.कर्क: इस राशि के जातक पद्मिनी एकादशी पर विष्णु जी को दूध में हल्दी डालकर चढ़ाएं।
5.सिंह: सिंह राशि वाले लोग श्री कृष्ण को गुड़ का भोग लगाएं।
6.कन्या :पद्मिनी एकादशी पर कन्या राशि वाले भगवान वेणुगोपाल को तुलसी पत्र अर्पित करें।
7.तुला: इस राशि के जातक अगर भगवान विष्णु को मुल्तानी मिटटी का लेप लगाएंगे तो उन्हें अवश्य ही उनका आशीर्वाद प्राप्त होगा।
8.वृश्चिक: वृश्चिक राशि वाले दही में शहद मिलाकर भगवान राधेश्याम को अर्पित करें।
9.धनु: इस दिन धनु राशि वाले नंदगोपाल को चने का प्रसाद चढ़ाएं अवश्य लाभ होगा।
10.मकर: मकर राशि के जातक श्री गोविन्द को लौंग और इलाइची का ताम्बूल चढ़ाएं।
11.कुम्भ: पद्मिनी एकादशी पर कुम्भ राशि वाले विष्णु जी को नारियाल और मिश्री का प्रसाद चढ़ाएं।
12.मीन: इस राशि के जातक भगवान विष्णु को केसर का तिलक लगाएं मिलाकर।
पद्मिनी एकादशी के सर्व सामान्य उपाय |
एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।
जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
जो पुण्य गौ-दान सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।
एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं ।इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।
धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।
कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।
परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है ।पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ ।भगवान शिवजी ने नारद से कहा है :
पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है । यहाँ हम आपको पद्मिनी एकादशी को किये जा सकने वाले कुछ ख़ास उपायों के बारे में बता रहे हैं।
पद्मिनी एकादशी के उपाय |
पद्मिनी एकादशी पर दक्षिणावर्ती शंख में गंगाजल भरकर उससे भगवान विष्णु का अभिषेक करें। एकादशी को दिया जला के विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें …….विष्णु सहस्त्र नाम नहीं हो तो १० माला गुरुमंत्र का जप कर लें l अगर घर में झगडे होते हों, तो झगड़े शांत हों जायें ऐसा संकल्प करके विष्णु सहस्त्र नाम पढ़ें तो घर के झगड़े भी शांत होंगेl
पद्मिनी एकादशी पर भगवान विष्णु को खीर, पीले फल या पीले रंग की मिठाई का भोग लगाएं।
अगर आप धन लाभ चाहते हैं तो पद्मिनी एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करें।
पद्मिनी एकादशी की शाम तुलसी के पौधे के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक लगाएं और तुलसी के पौधे को प्रणाम करें।
पद्मिनी एकादशी पर गाय के कच्चे दूध (बिना उबला) दूध में केसर मिलाकर भगवान विष्णु का अभिषेक करें।
पीपल में भगवान विष्णु का वास माना गया है। इसलिए पद्मिनी एकादशी पर पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं।
पद्मिनी एकादशी के दिन विष्णु भगवान के मंदिर में जाकर अन्न (गेहूं, चावल आदि) का दान करें। बाद में इसे गरीबों में बांट दें।
भगवान विष्णु को पीतांबरधारी कहते हैं, इसलिए पद्मिनी एकादशी पर उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करना चाहिए।
पद्मिनी एकादशी पर भगवान विष्णु को तुलसी की माला अर्पित करें। इससे भी भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं।
पद्मिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को कमल का फूल या अन्य कोई पीले रंग का फूल चढ़ाना शुभ रहता है।
पद्मिनी एकादशी पर भगवान विष्णु को हरश्रंगार का इत्र अर्पित करें। इससे भी आपकी हर कामना पूरी हो सकती है।