किसी भी जातक की कुंडली में मौजूद योग, उसके जीवन की दिशा और भविष्य तय करने में सक्षम होते हैं। इनमें से कुछ शुभ होते हैं और कुछ ऐसे होते हैं जो जीवन को ही नर्क बना सकते हैं। ज्योतिषशास्त्रियों की मानें तो अशुभ योग, शुभ से अधिक जल्दी और बड़े तरीके से प्रभावित करते हैं।
हमारे पूर्वजन्म में किए गए शुभाशुभ कर्म इन सभी का निर्धारण करने में सक्षम होते हैं।
विशेष तौर पर अगर हम अशुभ योगों की बात करें तो इनमें से कुछ ऐसे भी है जो योग से ज्यादा एक शाप माने जा सकते हैं, जो परिवार के अन्य सदस्यों पर भी प्रभाव छोड़ता है। आइए जानते हैं उस अशुभ योग के बारे में जो शाप से कम नहीं है, साथ ही बताएंगे उसकानिदान कैसे संभव है।
यह दोष व्यक्ति के जीवन में लगभग सभी क्षेत्रों पर प्रभाव डालता है, जैसे व्यक्ति को परिवार, वैवाहिक जीवन, बच्चों, व्यापार, करियर आदि।
व्यक्ति की कुंडली के किसी घर में शनि और राहु / केतु साथ हो तो श्रापित दोष बनता है। कुंडली में यह दोष होने से व्यक्ति जीवन की विलासिता और आराम का आनंद लेने में असमर्थ होता है।
शनि तथा राहु / केतु का यह संयोजन एक व्यक्ति को बुद्धिमान बना सकता है और वह तकनीक से संबंधित गतिविधियों सहित व्यावसायिक गतिविधियों में सफल हो सकता है।
लेकिन साथ ही यह दोष व्यक्ति को दुर्भाग्यपूर्ण भी बना सकता है और इसलिए वह अपनी सफलता के फल का स्वाद लेने में असमर्थ होता है।
भारतीय दर्शन इस बात को मानता है कि आत्मा अमर है और कर्म के अनुसार जीव को अलग-अलग योनि में जन्म लेना पड़ता है. कर्म के अनुसार ही व्यक्ति को वर्तमान जीवन में सुख-दुख, आनन्द व कष्ट प्राप्त होता है (The person gets results according to Karma). कुण्डली में ग्रहों की मौजूदगी भी इसी अनुसार होती है. कुण्डली में श्रापित योग के होने का कारण भी पूर्व जन्म के कर्मों का फल माना जाता है. यह योग अत्यंत अशुभ फलदायी होता है. इस योग का फल व्यक्ति को अपने कर्मों के अनुसार भोगना पड़ता है.
शाप का सामान्य अर्थ शुभ फलों का नष्ट होना माना जाता है. जिस व्यक्ति की कुण्डली में यह योग बनता है उसे इसी प्रकार का फल मिलता है यानी उनकी कुण्डली में जितने भी शुभ योग होते हैं वे प्रभावहीन हो जाते हैं. इस स्थिति में व्यक्ति को कठिन चुनौतियों एवं मुश्किल हालातों का सामना करना होता है.
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