जैसे मनुष्य के जीवन में खुशियां और सफलता है तो उसके जीवन में दुख, विघ्न और समस्याएं भी आएंगी। शायद यही कारण है कि सुख-दुख को व्यक्ति का जीवन साथी कहा जाता है। यह समय के अनुसार आता-जाता है। जब व्यक्ति के जीवन में सुख रहता है तो वह किसी चीज की चिन्ता नहीं करता है लेकिन जैसे ही दुख आता है तो वह दुख को दूर करने के लिए हर उपाय/ उपचारकरता है। यहां तक की वह दान-पुण्य भी करता है।
लेकिन क्या आप जानते है दान-पुण्य कब किया जाना चाहिए। हमारे समाज में आदि काल से प्रचलित है की दान-पुण्य करने का कोई वक्त नहीं होता। ये सच्चाई भी है कि पुण्य कार्य करने का कोई वक्त नहीं होता, लेकिन दान करने का वक्त जरूर होता है। अक्सर आप बड़े बुजुर्गो से सुनते हैं कि इस वक्त दान मत करो, ये चीज मत दो, भाग्य बिगड़ सकता है, नुकसान हो सकता है।
क्योंकि गलत समय पर गलत वस्तु का दान करने से आपकी स्थिति सुधरने की बजाय बिगड़ने लगेगी। अगर आप अपने घर-परिवार में सुख समृद्धि बनाए रखना चाहते हैं तो आपको ये जानना अत्यंत आवश्यक है कि आपको किस चीज का और किस समय दान करना चाहिए, जो आपके लिए लाभदायक हो।
तो आइये सबसे पहले विस्तार से जानते हैं किन वस्तुओ का दान कब नहीं करना चाहिए।
लहसुन और प्याज
सूर्य ढलने के बाद लहसुन और प्याज का दान नहीं करना चाहिए। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, इसका संबंध केतु ग्रह से है। केतु ग्रह नकारात्मक शक्तियों का स्वामी होता है। कहा जाता है इसी वक्त जादू-टोना जैसे कार्य किए जाते हैं। यही कारण सूर्य ढलने के बाद लहसुन और प्याज किसी को भी नहीं देना चाहिए।
पैसा नहीं देना चाहिए
अक्सर हम लोग अपने बड़े जन से सुनते हैं कि सूर्य ढलने के पश्चात किसी को पैसा नहीं देना चाहिए और मना करने की बात कही जाती है। दरअसल, माना जाता उस वक्त घर में मां लक्ष्मी प्रवेश करती हैं। अगर हम शाम के समय किसी को पैसे-रुपये देते हैं तो लक्ष्मी जी दूसरे के घर चली जाती हैं।
हल्दी
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, गुरुवार के दिन हल्दी किसी को नहीं देना चाहिए। शास्त्र के अनुसार, अगर गुरुवरा को हल्दी किसी को देते हैं तो गुरु ग्रह कमजोर पड़ता है। गुरुवार के दिन हल्दी दान करने से परेशानी बढ़ सकती है।
लग्नेश का दान करें या ना करें?
लग्न कुंडली मे ज़ब लग्नेश मारक हो यानि छठे, आठवें, बाहरवें भाव मे हो तो ज्यादातर यह समस्या रहती है के लग्नेश का दान करना चाहिए के नही ! लग्नेश का दान हर वक़्त नही करना चाहिए क्यों की लग्नेश मतलब हम खुद है इसलिए दान करने से ग्रह शांत होता है इसलिए अगर लग्नेश का दान करेंगे तो हमारी बॉडी की एनर्जी कम हो जाएगी या हम खुद ज्यादा टेंशन मे हो जायेंगे !
लेकिन लग्नेश का मंत्र जाप हमेशा करना चाहिए क्यों की जाप करने से ग्रह प्रसन्न होते है !
नोट -डिग्री वाइज बलाबल अवश्य चेक कर लें और महादशा अंतर दशा का भी ध्यान देना चाहिए !
ध्यान देने योग्य बात -अगर लग्न कुंडली मे लग्नेश अस्त हो तो उसका रत्न धारण कर सकते है !
ज्योतिष शास्त्र में दान का महत्व
सनातन धर्म में दान को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। यह मात्र रिवाज़ के लिए नहीं किया जाता, वरन् दान करने के पीछे विभिन्न धार्मिक उद्देश्य बताए गए हैं। हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार दान से इंद्रिय भोगों के प्रति आसक्ति छूटती है। मन की ग्रंथियां खुलती है जिससे मृत्युकाल में लाभ मिलता है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मृत्यु आए इससे पूर्व सारी गांठें खोलना जरूरी है, जो जीवन की आपाधापी के चलते बंध गई है। दूसरे शब्दों में हम यह कह सकते हैं कि जीवन भर किए गए दुष्कर्मों से मुक्त होने के लिए दान ही सबसे सरल और उत्तम माध्यम माना गया है। वेद और पुराणों में दान के महत्व का वर्णन किया गया है। यही कारण है कि हजारों वर्षों पुराने हिन्दू धर्म में आज भी विभिन्न वस्तुओं को दान करने के संस्कार का पालन किया जाता है। आजकल अमूमन दान कर्म ज्योतिषीय उपायों को मद्देनज़र रख कर किए जाते हैं।
ज्योतिषियों द्वारा किसी व्यक्ति विशेष की जन्म पत्रिका का आंकलन करने के बाद, जीवन में सुख, समृद्धि एवं अन्य इच्छाओं की पूर्ति हेतु दान कर्म करने की सलाह दी जाती है। दान किसी वस्तु का, भोजन का, और यहां तक कि महंगे आभूषणों का भी किया जाता है।
ग्रहों को बलशाली करने के लिए दान
जन्म कुण्डली में कुछ ग्रहों को मजबूत एवं दुष्ट ग्रहों को शांत करने के लिए तो हम दान-पुण्य करते ही हैं, लेकिन ग्रहों की कैसी स्थिति में हमें कैसा दान नहीं करना चाहिए, यह भी जानने योग्य बात है।
ऐसा दान ना करें
क्योंकि ग्रहों की स्थिति के विपरीत यदि दान कर्म किया जाए, तो वह और भी बुरा असर देता है। ऐसे में हमारे द्वारा किया गया दान हमें अच्छा फल देने की बजाय, बुरा फल देना आरंभ कर देता है। और हमें इस बात की जानकारी भी नहीं होती।
जानिए किस समय न करें दान
ग्रहों की किस स्थिति में कैसा दान कर्म भूलकर भी नहीं करना चाहिए, हम आज यही आपको बताने जा रहे हैं। ज्योतिष विधा के अनुसार जन्मकुंडली में जो ग्रह उच्च राशि या अपनी स्वयं की राशि में स्थित हों, उनसे सम्बन्धित वस्तुओं का दान व्यक्ति को कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा दान हमें हमेशा हानि ही देता है।
सूर्य ग्रह
सूर्य मेष राशि में होने पर उच्च तथा सिंह राशि में होने पर अपनी स्वराशि का होता है। यदि किसी जातक की कुण्डली में सूर्य इन्हीं दो राशियों में से किसी एक में हो तो उसे लाल या गुलाबी रंग के पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा गुड़, आटा, गेहूं, तांबा आदि दान नहीं करना चाहिए। सूर्य की ऐसी स्थिति में ऐसे जातक को नमक कम करके, मीठे का सेवन अधिक करना चाहिए।
चंद्र ग्रह
चन्द्र वृष राशि में उच्च तथा कर्क राशि में अपनी राशि का होता है। यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में चंद्र ग्रह ऐसी स्थिति में हो तो, उसे खाद्य पदार्थों में दूध, चावल एवं आभूषणों में चांदी एवं मोती का दान नहीं करना चाहिए। ऐसे जातक के लिए माता या अपने से बड़ी किसी भी स्त्री से दुर्व्यवहार करना हानिकारक हो सकता है। किसी स्त्री का अपमान करने पर ऐसे जातक मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं।मानसिक तनाव हो सकता है
जिस जातक के लिए चंद्र ग्रह स्वराशि हो उसे किसी नल, टयूबवेल, कुआं, तालाब अथवा प्याऊ निर्माण में कभी आर्थिक रूप से सहयोग नहीं करना चाहिए। यह उस जातक के लिए आर्थिक रूप से हानिकारक सिद्ध हो सकता है।
मंगल ग्रह
मंगल मेष या वृश्चिक राशि में हो तो स्वराशि का तथा मकर राशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है। यदि आपकी कुण्डली में मंगल ग्रह ऐसी स्थिति में है तो, मसूर की दाल, मिष्ठान अथवा अन्य किसी मीठे खाद्य पदार्थ का दान ना करें। मीठे खाद्य पदार्थ का दान निषेध
आपके घर यदि मेहमान आए हों तो उन्हें कभी सौंफ खाने को न दें अन्यथा वह व्यक्ति कभी किसी अवसर पर आपके खिलाफ ही कटु वचनों का प्रयोग करेगा। यदि मंगल ग्रह के प्रकोप से बचना चाहते हैं तो किसी भी प्रकार का बासी भोजन न तो स्वयं खाएं और न ही किसी अन्य को खाने के लिए दें।
बुध ग्रह
बुध मिथुन राशि में तो स्वराशि तथा कन्या राशि में हो तो उच्च राशि का कहलाता है। यदि किसी जातक की जन्मपत्रिका में बुध उपरोक्त वर्णित किसी स्थिति में है तो, उसे हरे रंग के पदार्थ और वस्तुओं का दान कभी नहीं करना चाहिए। हरे रंग के वस्त्र, वस्तु और यहां तक कि हरे रंग के खाद्य पदार्थों का दान में ऐसे जातक के लिए निषेध है। इसके अलावा इस जातक को न तो घर में मछलियां पालनी चाहिए और न ही स्वयं कभी मछलियों को कभी दाना डालना चाहिए।
बृहस्पति ग्रह
बृहस्पति जब धनु या मीन राशि में हो तो स्वगृही तथा कर्क राशि में होने पर उच्चता को प्राप्त होता है। जिस जातक की कुण्डली में बृहस्पति ग्रह ऐसी स्थिति में हो तो, उसे पीले रंग के पदार्थ नहीं करना चाहिए। सोना, पीतल, केसर, धार्मिक साहित्य या वस्तुओं आदि का दान नहीं करना चाहिए। इन वस्तुओं का दान करने से समाज में सम्मान कम होता है।
शुक्र ग्रह
शुक्र ग्रह वृष या तुला राशि में हो स्वराशि का एवं मीन राशि में हो तो उच्च भाव का होता है। जिस जातक की कुण्डली में शुक्र ग्रह की ऐसी स्थिति हो, तो उसे श्वेत रंग के सुगन्धित पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए अन्यथा व्यक्ति के भौतिक सुखों में कमी आने लगती है। इसके अलावा नई खरीदी गई वस्तुओं का एवं दही, मिश्री, मक्खन, शुद्ध घी, इलायची आदि का दान भी नहीं करना चाहिए।
शनि ग्रह
शनि यदि मकर या कुम्भ राशि में हो तो स्वगृही तथा तुला राशि में हो तो उच्च राशि का कहलाता है। यदि आपकी कुण्डली में शनि की स्थिति है तो आपको काले रंग के पदार्थों का दान कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए। इसके अलावा लोहा, लकड़ी और फर्नीचर, तेल या तैलीय सामग्री, बिल्डिंग मैटीरियल आदि का दान नहीं करना चाहिए।
काला रंग
ऐसे जातक को अपने घर में काले रंग का कोई पशु जैसे कि भैंस अथवा काले रंग की गाय, काला कुत्ता आदि नहीं पालना चाहिए। ऐसा करने से जातक की निजी एवं सामाजिक दोनों रूप से हानि हो सकती है।
राहु ग्रह
राहु यदि कन्या राशि में हो तो स्वराशि का तथा वृष एवं मिथुन राशि में हो तो उच्च का होता है। जिस जातक की कुण्डली इसमें से किसी भी एक स्थिति का योग बने, तो ऐसे जातक को नीले, भूरे रंग के पदार्थों का दान नहीं करना चाहिए। इसके अलावा अन्न का अनादर करने से परहेज करना चाहिए। जब भी ये खाना खाने बैठें, तो उतना ही लें जितनी भूख हो, थाली में जूठन छोड़ना इन्हें भारी पड़ सकता है।
केतु ग्रह
केतु यदि मीन राशि में हो तो स्वगृही तथा वृश्चिक या फिर धनु राशि में हो तो उच्चता को प्राप्त होता है। यदि आपकी कुण्डली में केतु उपरोक्त स्थिति में है तो आपको घर में कभी पक्षी नहीं पालना चाहिए, अन्यथा धन व्यर्थ के कामों में बर्बाद होता रहेगा। इसके अलावा भूरे, चित्र-विचित्र रंग के वस्त्र, कम्बल, तिल या तिल से निर्मित पदार्थ आदि का दान नहीं करना चाहिए।
दान करने जा रहे हैं तो अवश्य पढ़ें यह कुछ विशेष नियम वर्ना दान, पहुंचा देता है - शमशान अथवा बर्बादी को निमंत्रण
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दान करने के नियम
दान (Donate) संसार का सबसे अच्छा और पुण्य प्राप्त करने वाला काम माना गया है। कहते हैं कि दान (Donate) करने से मनुष्य को सीधे स्वर्ग में जगह मिलती है। लेकिन क्या आप जाते हैं कि दान के भी अपने कुछ नियम होते हैं और इनको नजरअंदाज कर के किया हुआ दान व्यक्ति को मृत्यु तुल्य कष्ट देता है और स्वयं व्यक्ति की मृत्यु तक का कारण बन जाता है। दान देने से पहले जानिए कुछ विशेष नियम, अवश्य पढ़ें…
दान की महिमा हर धर्म में मानी गई है। लेकिन दान किसे दिया जाए और किस विधि से दिया जाए इस पर बहुत कम शास्त्रों में वर्णित है। यहां हम दे रहे हैं कुछ ऐसे नियम जो दान से पूर्व हर व्यक्ति को जानना आवश्यक है। तो आइए जानते हैं दान करने के नियमों के बारे में -:
दान करने जा रहे हैं तो अवश्य पढ़ें यह कुछ विशेष नियम वर्ना दान, पहुंचा देता है शमशान अथवा बर्बादी को निमंत्रण
1. मनुष्य को अपने द्वारा न्यायपूर्वक अर्जित किए हुए धन का दसवां भाग ईश्वर की प्रसन्नता के लिए किसी सत्कर्मो में लगाना चाहिए। जो मनुष्य अपने स्त्री, पुत्र एवं परिवार को दुःखी करके दान देता है। वह दान जीवित रहते हुए भी एवं मरने के बाद भी दुःखदायी होता है।
2. दान करने वाले व्यक्ति को स्वयं जाकर दान करना चाहिए, जिससे वह दान का उत्तम फल प्राप्त कर सके। घर बुलाकर दिया हुआ दान मध्यम फलदायी होता है। जब गौ, ब्राम्हणों तथा रोगियों को कुछ दिया जाता हो, उस समय यदि कोई व्यक्ति उसे न देने की सलाह देता हो, तो वह दुःख भोगता है।
3. तिल, कुश, जल और चावल को हाथ में लेकर दान देना चाहिए अन्यथा उस दान पर दैत्य अधिकार कर लेते हैं। पितरों को तिल के साथ तथा देवताओं को चावल के साथ दान देना चाहिए। परन्तु जल व कुश का संबंध सर्वत्र रखना चाहिए।
4. दान करते समय यदि दान देने वाले व्यक्ति का मुह पूर्व की ओर और दान लेने वाले व्यक्ति का मुह उत्तर की ओर हो तो दान के फलस्वरूप दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है। ऐसा करने से दान देने वाले की आयु बढ़ती है, और लेने वाले की आयु भी क्षीण नहीं होती।
5. अन्न, जल, घोड़ा, गाय, वस्त्र, शय्या, छत्र और आसन। इन आठ वस्तुओं का दान (Donate) मृत्योपरांत के कष्टों को नष्ट करता है।
6. गाय, घर, वस्त्र, शैय्या तथा कन्या, इनका दान (Donate) एक ही व्यक्ति को करना चाहिए। रोगी की सेवा करना, देवताओं का पूजन और ब्राह्मणों के पैर धोना, गौ दान के समान है ।
7. दीन, अंधे, निर्धन, अनाथ, गूंगे, जड़, विकलांग तथा रोगी मनुष्य की सेवा के लिए जो धन दिया जाता है, उसका पुण्य महान होता है ।
8. विद्याहीन, चरित्रहीन, व्यसनाधीन ब्राह्मणों को दान नहीं देना चाहिए। इस प्रकार के दान से ब्राह्मण की हानि होती है और आपका दान निष्फल होता है ।
9. गाय, स्वर्ण, चांदी, रत्न, विद्या, तिल, कन्या, हाथी, घोड़ा, शय्या, वस्त्र, भूमि, अन्न, दूध, छत्र तथा आवश्यक सामग्री सहित घर, इन 16 वस्तुओं के दान को महादान की श्रेणी में गिना जाता है।
10. इन्हें कहा जाता है अष्ट महादान- 1. तिल 2. लोहा 3. स्वर्ण (सोना) 4. कपास 5. नमक 6. सप्तधान्य 7. भूमि 8. गाय।
महर्षि वेदव्यास जी द्वारा रचित शिव महापुराण भगवान शिव को समर्पित ग्रंथ है।
शिव महापुराण में बताया गया है की किस चीज के दान से किस फल की प्राप्ति होती है | यहां जानिए किस चीज का दान करने से कौन सी मनोकामना पूरी हो सकती है।
दान करने से जीवन की तमाम परेशानियों का अंत खुद-ब-खुद होने लगता है. दान करने से कर्म सुधरते हैं और अगर कर्म सुधर जाएं तो भाग्य संवरते देर नहीं लगती है.
1. तिल- जिस भी मनुष्य को संतान प्राप्ति की इच्छा हो, उसे तिल का दान करना चाहिए।
2. लोहा- लोहा दान करने से रोगों का नाश होता है और शनि के दोषों का भी निवारण होता है।
3. स्वर्ण (सोना)- लंबी उम्र की इच्छा रखने वाले को सोने का दान देना चाहिए।
4. कपास- कपास का दान करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
5. नमक- नमक का दान करने से दान करने वाले को कभी अन्न की कमी नहीं होती है।
6. सप्तधान्य- ये सप्तधान्य का दान करने से दान करने वाले का धन-सपंत्ति और सुख हमेशा बना रहता है।
7. भूमि- भूमि दान करने से उत्तम घर की प्राप्ति होती है।
8. गौ- गाय का दान करने पर सूर्यलोक की प्राप्ति होती है।
9. घी- हमेशा धन-सपंत्ति बनाए रखने के लिए घी का दान किया जाना चाहिए।
10. वस्त्र- चन्द्रलोक की प्राप्ति के लिए वस्त्रों का दान किया जाना चाहिए।
11. गुड़- धन-धान्य की प्राप्ति के लिए गुड़ का दान करना चाहिए।
12. चांदी- अच्छे रूप और सौंदर्य के लिए चांदी दान किया जाता है।
13- बैल- बैल का दान करने पर सपंत्ति की प्राप्ति होती है।
14. वाहन- वाहन का दान करने से अच्छी पत्नी की प्राप्ति होती है।
15. गाय को घास- पापों से मुक्ति पाने के लिए गाय को घास का दान देना चाहिए।
16. दीपदान- दिपों का दान करने से नेत्र संबंधि रोग नहीं होते है।
17. औषधि- किसी जरूरतमद को औषधि का दान करने से सुख की प्राप्ति होती है।
ग्रहों की किस स्थिति में कैसा दान कर्म भूलकर भी नहीं करना चाहिए,
हम अगले लेख में आपको यही बताने जा रहे हैं। ज्योतिष विधा के अनुसार जन्मकुंडली में जो ग्रह उच्च राशि या अपनी स्वयं की राशि में स्थित हों, उनसे सम्बन्धित वस्तुओं का दान व्यक्ति को कभी भूलकर भी नहीं करना चाहिए। क्योंकि ऐसा दान हमें हमेशा हानि ही देता है।
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