धार्मिक एवं ज्योतिष शास्त्रों के अनुसार हर माह के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या तिथि बहुत महत्वपूर्ण होती है। ऐसा माना जाता है कि अमावस्या के दिन नकारात्मक शक्तियां ज्यादा सक्रिय रहती हैं इसीलिए चौदस और अमावस्या के दिन बुरे कार्यों तथा नकारात्मक विचारों से दूरी बनाए रखने में हमारी भलाई है।
चैत्र अमावस्या के दिन श्रद्धालु गंगा स्नान कर दान और अन्य धार्मिक कार्य करते हैं। इस दिन श्रद्धालु ब्राह्मणों को भोजन कराते हैं साथ ही उन्हें वस्त्र, दक्षिणा और जरुरी वस्तुएं दान करते हैं। चैत्र अमावस्या के दिन स्नान के बाद नदी में तिल प्रवाहित करें। इससे आपके दोष दूर होते हैं। वहीं इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर पितरों का तर्पण करें।
इन दिनों विशेषकर धार्मिक कार्यों तथा मंत्र जाप, पूजा-पाठ आदि पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। इस वर्ष चैत्र अमावस्या 24 मार्च की पड़ रही है।
चैत्र अमावस्या का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि:
सवार्थ सिद्धी योगी- सुबह 6 बजकर 20 मिनट से अगले दिन 4 बजकर 19 मिनट तक।
अभिजित मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से दोपहर 12 बजकर 52 मिनट तक।
अमावस्या का समय 23 मार्च, सोमवार दोपहर 12.31 बजे से आरंभ होकर 24 मार्च, मंगलवार की दोपहर 02.58 बजे तक रहेगा। यह समय विशेष तौर पर स्नान-दान की दृष्टि से अधिक महत्व का माना गया है। गरुड़ पुराण के अनुसार इस अमावस्या के दिन पितर अपने वंशजों से मिलने जाते हैं। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर पवित्र नदी में स्नान, दान व पितरों को भोजन अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद देते हैं।
इतना ही नहीं, प्रत्येक अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगा जल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें।
‘ॐ पितृभ्य: नम:’
मंत्र का जाप करने के बाद पितृसूक्त का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है। जिन लोगों का चंद्रमा कमजोर है, वे गाय को दही और चावल खिलाएं तो मानसिक शांति प्राप्त होगी।
जो लोग घर पर स्नान करके अनुष्ठान करना चाहते हैं, उन्हें पानी में थोड़ा-सा गंगा जल मिलाकर तीर्थों का आह्वान करते हुए स्नान करना चाहिए। इस दिन सूर्यनारायण को अर्घ्य देने से गरीबी और दरिद्रता दूर होती है।
मान्यताओं के अनुसार इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान करके पितृ तर्पण करना चाहिए तथा सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद ब्राह्मण को भोजन करवाकर गरीबों को दान करना चाहिए।
चैत्री अमावस्या सुख, सौभाग्य और धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिहाज से विशेष महत्व रखती है।
प्रत्येक अमावस्या के दिन सूर्यदेव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर ‘ॐ पितृभ्य: नम:’ का बीज मंत्र पढ़ते हुए 3 बार अर्घ्य दें।
अमावस्या के दिन लोग गरीबी दूर करने के लिए रात में 12 बजे से पहले स्नान कर पीले रंग के वस्त्र धारण करें और उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठ जाएं. इसके बाद चौकी पर एक थाली रखकर केसर से स्वास्तिक बनाकर महालक्ष्मी यंत्र और शंख की स्थापना करें और उस पर केसर में रंग हुए चावल छिड़कें. इसके बाद घी का दीपक जला लें. कहा जाता है कि इससे घर में धन की समस्या खत्म हो जाती है.
अमावस्या की शाम को लाल रंग के धागे के इस्तेमाल से केसर डालकर घी का दीपक जलाना चाहिए. दीपक को घर के ईशान कोण में रखें जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहेगी.
पीले रंग की त्रिकोण ध्वजा चैत्री अमावस्या के दिन विष्णु या कृष्ण मंदिर के गुंबद पर पीले रंग की त्रिकोण ध्वजा लगाने का बड़ा महत्व है। माना जाता है जैसे-जैसे यह ध्वजा हवा में लहराती जाएगी आपका भाग्य भी चमकता जाएगा। जीवन की रूकावटें दूर होती जाएंगी और आप दिन-रात उन्न्ति करते जाएंगे।
यदि आपका भाग्य साथ नहीं देता। अच्छा करने जाते हैं और उल्टा हो जाता है। कार्यों में अनावश्यक रूकावटें आती हों तो अमावस्या के दिन शाम के समय किसी कुएं में एक-एक चम्मच कर गाय का सवा पाव दूध डाले। इससे आपका बिगड़ा भाग्य बनने लगेगा। धन की आवक बढ़ेगी
सुख-शांति और सौभाग्य प्राप्त होता है
चैत्री अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की जड़ में एक लोटा कच्चे दूध में बताशा और थोड़े से अक्षत डालकर अर्पित करेंगे तो इससे परिवार में सुख-शांति, सौभाग्य आता है।
चैत्री अमावस्या का दिन शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसो के तेल का दीपक लगाएं और अपने पितरों का स्मरण करें। पीपल की सात परिक्रमा लगाएं। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न् होते हैं और फिर जीवन में किसी चीज की कमी नहीं रह जाती है।
अमावस्या की शाम को शिव मंदिर में गाय के कच्चे दूध, दही, शहद से शिवजी का अभिषेक करें और उन्हें काले तिल अर्पित करें। इससे धन प्राप्ति के मार्ग में आ रही बाधाएं समाप्त होती है। आप अतुलनीय संपत्तियों के मालिक बनेंगे।
अमावस्या शनिदेव का दिन भी माना जाता है। इसलिए इस दिन उनकी पूजा अवश्य करें। शनि मंदिर में नीले फूल अर्पित करें। काले तिल, काले साबुत उड़द, तिल का तेल, काजल और काला कपड़ा अर्पित करें। मंदिर में बैठकर ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र की एक माला जाप करें। इससे आपके सारे संकट दूर हो जाएंगे। शनि के साथ अन्य ग्रह भी अनुकूल हो जाएंगे